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Wednesday 8 July 2015

।। शिव निर्माल्य ।।

।। शिव निर्माल्य ।।

द्वारा...पंडित श्री हेमंत मिश्रा on Friday, July 3, 2015 at 9:01pm
।। शिव निर्माल्य ।। .........................द्वारा पंडित श्री हेमंत मिश्रा ।
' शिव निर्माल्य भ्रान्ति - शिव निर्माल्य ग्राह्य है अथवा अग्राह्य है '

विसर्जितस्य देवस्य गन्धपुष्पनिवेदनम् ।
निर्माल्यं तदविजानीयाद् वर्ज्यं वस्त्रविभूषणम् ।
अर्पयित्वा तु ते भूयश्चण्डेशाय निवेदयेत् ।। ( स्कंदपुराण सूतोक्ति )
शिव लिंग पर समर्पित पत्र पुष्प जल एवं नैवेद्य अग्राह्य है, भूमि , वस्त्र , आभूषण , सोना चाँदी ताम्बा छोड़ कर सभी फल जलादि निर्माल्य है उसे कुँए मे डाल देना चाहिये । शिव निर्माल्य मे महादेव के ' चण्ड ' नामक गण का चण्डाधिकार होता है जिसे शैवी दीक्षारहित मानवों को शालग्राम से स्पर्श कराए बिना ग्रहण नही करना चाहिये ।
उपरोक्त निर्माल्य निषेध सामान्यत: लोग सभी जगह लागू करते हैं , वस्तुत: यह निषेध सर्वत्र लागू नही होता है । यह सिर्फ़ साधारण लोगों द्वारा रचित मिट्टी , पत्थर , आदि पर लागू होता है । वाण लिंग ( नर्मदेश्वर ) , धातुनिर्मित लिंग , पारदलिंग , स्वयम्भूलिंग , द्वादशज्योतिर्लिंग , सिद्ध महापुरुषों द्वारा निर्मित लिंग तथा सभी प्रतिमाओं ( मूर्तिविग्रहों ) मे चण्डाधिकार नही होता है इसलिये इन पर यह लागू नही होता ।

वाणलिंगे च लोहे च सिद्धलिंगे स्वयम्भुवि ।
प्रतिमासु च सर्वासु न चण्डोधिकृतो भवेत् ।। ( शिवपुराण वि. स. २२.१७ )
विधि निषेध की एक शास्त्रीय व्यवस्था होती है । विधि निषेध देश , काल परिस्थिति के अनुसार व्यक्तिविशेष के लिये होते हैं । वर्ण आश्रम के अनुसार कोई कर्म एक लिये विहित तो वही कर्म दूसरे के लिये निषेध होता है । सभी के लिये सब कर्म , धर्म नही होते हैं । गृहस्थाश्रम मे जो कर्म धर्म हैं वही कर्म सन्यासाश्रम मे अधर्म हो जाता है ।

दृष्टाऽपि शिवनैवेद्यं यान्ति पापानि दूरत: ।
भुक्ते तु शिवनैवेद्ये पुण्यान्यायान्ति कोटिश: ।।
- शिवनैवेद्य के दर्शनमात्र से ही सारे पाप दूर भाग जाते हैं तथा नैवेद्य भक्षण से करोड़ो पुण्य प्राप्त होते हैं ।

न यस्य शिवनैवेद्यग्रहणेच्छा प्रजायते ।
स पापिष्ठो गरिष्ठ: स्यान्नरकं यात्यपि ध्रुवम् ।।
शिवभक्तों के लिये शिवपूजन के बाद शिव नैवेद्य ग्रहण करना भी पूजा का उत्तरांग है तथा बिना इसके पूजा सर्वांग पूरी नही होती अंगहीन ( अधूरी ) ही रह जाती है । सभी बाणादिलिंग , शिवप्रतिमा तथा लिंग को स्पर्श न करा के सामने चढाया गया प्रसाद अवश्य ग्रहण करना चाहिये ।
।। जय श्री महाकालेश्वर ।।

2 comments:

  1. नमस्कार माझी नाव दयानंद महाजन मला त्रिकाल संध्या ची सर्व माहिती मराठीत पाहिजे माझा मोबाइल नंबर
    9623242697
    मला sms करा whatsapp sms करें धन्यवाद

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  2. WISH YOU ALL VERY HAPPY AKSHAY TRITIYA AND PARSHURAM JAYANTI TO ALL
    https://akshaytritiyparshuramjayanti2018.blogspot.in/

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